RUMORED BUZZ ON राजनीति विज्ञान

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यो कसको कङ्काल हो? - डीएनएबाट खुल्यो २,००० वर्ष पुरानो रहस्य

वास्तव में, मिनहाज में ऐतिहासिक घटनाओं को समझने और उनका विश्लेषण करने की क्षमता थी। उसने सरल भाषा में घटनाओं का क्रमानुसार विवरण दिया है। वह लिखता है कि बादशाहों में ऐसे गुण होने चाहिए, जिससे प्रजा तथा लाव-लश्कर संतुष्ट रह सके; भोग-विलास तथा दुष्टों और दुराचारियों के मेल से राज्य का पतन हो जाता है। फरिश्ता ने तबकात-ए-नासिरी को ‘उच्चकोटि का ग्रंथ’ बताया है। एलफिंस्टन, स्टेवार्ट तथा मार्ले ने भी इसकी प्रशंसा की है। तबकात-ए-नासिरी का अंग्रेजी अनुवाद रेवर्टी ने किया है।

तक की घटनाओं का वर्णन है। तीसरे भाग में तत्कालीन सूफियों, विद्वानों, हकीमों एवं कवियों की जीवनियां हैं। यह ग्रंथ ‘तारीखे-मुबारकशाही’ तथा ‘तबकाते अकबरी’ को आधार बनाकर लिखा गया है। इसका महत्त्व इसलिए है, क्योंकि इससे अकबर के शासनकाल के दूसरे पहलू का ज्ञान होता है। तुजुक-ए-जहांगीरी[संपादित करें]

मध्यकाल के दौरान हिंदुओं मे कबीर, तुलसीदास, सूरदास आदि के नेतृत्व में सुधारवादी आंदोलन हुआ जबकि मुस्लिमों में सूफी आंदोलन हुआ। मध्यकाल में साहित्य में भी काफी विकास हुआ।

‘तारीख-ए-मुबारकशाही’ या ‘तुजुक-ए-मुबारकशाही’ याहिया बिन अहमद सरहिंदी की रचना है, more info जो सैयद वंश के इतिहास की जानकारी का एकमात्र प्रामाणिक स्रोत है। सरहिंदी को सैयद वंश के सुल्तान मुबारकशाह का संरक्षण प्राप्त था और तारीख-ए-मुबारकशाही उसी को समर्पित है। इस ग्रंथ में सरहिंदी ने मुहम्मद गोरी से लेकर सैयद वंश के तीसरे सुल्तान मुहम्मद के शासनकाल तक का वर्णन किया है। याहिया एक सजग एवं ईमानदार इतिहासकार था, क्योंकि उसने तिथियों तथा घटनाओं के वर्णन में अतिरंजना और विशेषणों का प्रयोग नहीं किया है।

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इसके पूर्व छिटपुट रूप से कुछ मुस्लिम शासक उत्तर भारत के कुछ इलाकों को जीत या वहाँ राज कर चुके थे

सचाऊ ने अलबेरूनीज इंडियाः एन अकाउंट ऑफ रिलीजन नाम से और हिंदी अनुवाद रजनीकांत शर्मा ने भारतीय समाज एवं संस्कृति के नाम से किया है।

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